आलिंगन
टूट गिरी तू डाली
से, बाहों में तुझे भर लिया,
परंपरा की धूल से
मिलने से पहले, अंतिम आलिंगन खूब किया,
क्षत विक्षत, झुरियों
से भरी, क्यों फिर भी इतनी सुन्दर लागे,
प्रेम त्याग ताप से
तपी सुन्दरता, रूप तो तेरे आगे सिर झुकावे,
तेरे रोम रोम को
छूता हूँ, इस पल में तुझको समेंट लूँ,
पंडित विधि विधान
को कर परे, एक बार फिर तुझको चूम लूँ,
हाय हवा के एक
झोंके से, यह मिलन भी टूटेगा ,
इन स्मृतियों के
खजाने को, बस अब यह जीवन लुतेगा ....
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